क्रेडेंट टीवी एवं भारद्वाज फाउंडेशन, जयपुर के संयुक्त तत्वाधान में एआई (Artificial Intelligence) विकास एवं उपयोग के भविष्यवाणी रोड मैप पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

जयपुर
क्रेडेंट टीवी एवं भारद्वाज फाउंडेशन, जयपुर के संयुक्त तत्वाधान में एआई (Artificial Intelligence) विकास एवं उपयोग के भविष्यवाणी रोड मैप पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
इस कार्यक्रम में पैनलिस्ट्स ने एआई के वैश्विक रुझानों और भारत के दृष्टिकोण पर विस्तृत चर्चा की।

इस सत्र का संचालन राष्ट्रीय स्तर के प्रख्यात मोटिवेशनल गुरु और भारद्वाज फाउंडेशन जयपुर के संस्थापक अध्यक्ष डॉ पीएम भारद्वाज ने किया।

इस कार्यक्रम के पैनलिस्ट्स में कंप्यूटर वैज्ञानिक एवं यूनाइटेड नेशन्स से जुड़े डिजिटल डिप्लोमेटिक विशेषज्ञ
डॉ. डी.पी. शर्मा जो कि स्वच्छ भारत मिशन के प्रधानमंत्री के राष्ट्रीय ब्रांड एंबेसडर भी हैं ऑनलाइन मीडिया के माध्यम से उपस्थित थे।
अन्य पैनलिस्ट में डॉ. अखिलेश त्रिवेदी (स्टार्टअप और उद्यमिता इकोसिस्टम के रणनीतिकार) डॉ. सत्यन विजयवर्गीय (टेक्नोलॉजी डायरेक्टर – जीनस) ने इस कार्यक्रम में भाग लेते हुए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से प्रकाश डाला ।
इस कार्यक्रम के संचालक डॉ पीएम भारद्वाज ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के विभिन्न आयामों पर विकास और भविष्यगामी उपयोग के साथ-साथ दुरुपयोग के बारे में विस्तार से पैनलिस्ट से सवाल पूछे। इस प्रकार वैश्विक और भारतीय एआई परिदृश्य के साथ पारंपरिक क्षेत्रों में संभावित नौकरी हानि, और इसके चलते लोगों की कौशल पुनर्गठन की आवश्यकता पर सवाल पूछने पर विदेश से ऑनलाइन जुड़कर कंप्यूटर वैज्ञानिक डॉ डीपी शर्मा ने स्पष्ट रूप से कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपयोग से बचा नहीं जा सकता मगर इसके दुरुपयोग पर नियंत्रण करना अति आवश्यक है और इसके लिए पूरी दुनिया के वैज्ञानिकों, तकनीकी विशेषज्ञों, प्रशंसकों और सरकारों को एक विशिष्ट रेगुलेटरी फ्रेमवर्क लोकल एवं ग्लोबल लेवल पर बनाना होगा ताकि स्कूल, कॉलेज, इंडस्ट्री, विश्वविद्यालय एवं व्यक्तिगत स्तर पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के नैतिक, जिम्मेदार एवं मानवीय उपयोग को सुनिश्चित किया जा सके। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत ने अभी तक कोई स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालयों, इंडस्ट्रीज के लिए विशिष्ट रेगुलेटरी फ्रेमवर्क एवं कानून नहीं बनाया है जिसकी अत्यंत आवश्यकता है।

डॉ. अखिलेश त्रिवेदी ने भारतीय यूनिकॉर्न एआई स्टार्टअप्स का उल्लेख करते हुए कहा कि जैसे कंप्यूटरीकरण के समय अनुमानित नौकरी हानि वास्तविकता में नहीं हुई, वैसा ही कुछ एआई के साथ भी देखने को मिलेगा यानी वैकल्पिक रोजगार के अवसर खुलेंगे।
डॉ. विजयवर्गीय ने बताया कि वर्तमान में 30% कोडिंग कार्य एआई द्वारा किए जा रहे हैं, और 2026 के अंत तक यह 100% तक हो सकता है। इसलिए छात्रों को एआई/एमएल एल में अपने कौशल का पुनर्विकास करना होगा ताकि वे रोजगार योग्य बने रहें।

डॉ. पी.एम. भारद्वाज ने सभी पैनलिस्ट्स का उनके बहुमूल्य विचारों के लिए धन्यवाद किया और बताया कि भारद्वाज फाउंडेशन जयपुर ने हाल ही में इंडियन वूमेंस साइंटिस्ट संगठन के संयुक्त तत्वाधान में ‘नैनो मॉडल’ प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें पैन इंडिया से 100 से अधिक छात्रों ने भाग लिया, और 37 छात्रों ने सफलतापूर्वक प्रमाणपत्र प्राप्त किए l

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