बैंकॉक “आईसीईईई 2025”- अंतर्राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस में तकनीकी की बहुआयामी चुनौतियों एवं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के एथिकल, जिम्मेदार एवं मानवीय उपयोग के लिए नए वैश्विक अंतरराष्ट्रीय कानून एवं नए रेगुलेटरी फ्रेमवर्क की जरूरत- डॉ डीपी शर्मा

बैंकॉक, इलेक्ट्रॉनिक्स और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग द्वारा आईंसीईईई 2025 (ICEEE2025) अंतर्राष्ट्रीय कांग्रेस का आयोजन किया गया जिसमें कंप्यूटर वैज्ञानिक एवं डिजिटल डिप्लोमेट डॉ डीपी शर्मा भी पहुंचे।

कंप्यूटर वैज्ञानिक एवं यूनाइटेड नेशन से जुड़े डिजिटल डिप्लोमेट डॉ शर्मा ने बताया कि विभिन्न तकनीकों एवं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के द्वारा उत्पन्न अवसरों के अंधाधुंध दोहन के साथ मानव की सुरक्षा एवं मानवी मूल्यों को संतुलित करने की आवश्यकता है।

डॉ शर्मा ने कहा कि हम तकनीकी विकास की दुनियां में विश्व स्तर पर पीछे तो नहीं जा सकते परंतु भविष्यगामी तकनीकी चुनौतियों के लिए सावधान रहते हुए नए तरीके एवं कानून बना सकते हैं। डॉ शर्मा ने जोर देकर कहा कि कोई भी टेक्नोलॉजी अपने विकास के साथ विकार को भी लेकर आती है और यही विकार एथिकल, जिम्मेदार एवं मानवीय सीमाओं को तोड़कर यदि मानवीय मूल्यों को चुनौती देते हैं तो वे मनुष्य जाति के लिए खतरनाक साबित हो सकते ते हैं। आज हमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जिम्मेदार, नैतिक एवं मानवीय धारणाओं और नियमों के तहत ही इस्तेमाल करने की सोचना चाहिए तभी यह मनुष्य जाति के लिए वरदान साबित होगी वरना यह तकनीकी अभिशाप भी बन सकती है।

अपने स्पीच में, डॉ शर्मा ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि यद्यपि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में विभिन्न क्षेत्रों में क्रांति लाने की अपार क्षमता है, परंतु इसके अनियंत्रित और अनैतिक उपयोग से मानवता के लिए एक महत्वपूर्ण जोखिम होता है। उन्होंने कहा कि एआई के लाभों का दोहन करने में एक “जिम्मेदार और मानवीय रवैया” सर्वोपरि होगा तभी इन सभी तकनीक यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को भविष्य की पीढ़ियों के लिए “शाप” के बजाय “वरदान” में बदला जा सकता है।

डॉ शर्मा ने आगे एआई प्रौद्योगिकियों के विकास और कार्यान्वयन को संचालित करने के लिए एक मजबूत “वैश्विक नियामक ढांचा और कानून”बनाने के लिए सभी का आह्वान किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि दुरुपयोग को रोकने और दुनियां भर में नैतिक और जिम्मेदार एआई प्रथाओं को सुनिश्चित करने के लिए इस तरह का नियामक ढांचा आवश्यक है।

इस अंतरराष्ट्रीय कांग्रेस में क्वांटम मैकेनिक्स, डिस्ट्रीब्यूटेड लेजर टेक्नोलॉजी, पावर सिस्टम, सेंसर टेक्नोलॉजी और स्मार्ट ग्रिड जैसे क्षेत्रों में प्रमुख विशेषज्ञों ने अपनी प्रस्तुतियां दीं।

लंदन (GMT+1) के बैंकॉक समय पर आयोजित की गई, इस इलेक्ट्रॉनिक्स और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग कांग्रेस में विभिन्न प्रकार की अत्याधुनिक अनुसंधान और प्रगति संबंधी तकनीकी शोध पत्रों का प्रदर्शन किया गया जिसमें प्रमुख रूप से शामिल हैं:
प्रोफेसर व्लादिमीर चिग्रिनोव (विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, हांगकांग): “क्वांटम-मैकेनिक्स: सिद्धांत, अनुप्रयोग और संभावनाएं”
प्रोफेसर आनंद नाय्यार (ड्यू टैन यूनिवर्सिटी, विएट नाम): “5 जी नेटवर्क से परे वितरित लेजर प्रौद्योगिकी (डीएलटी) की भूमिका”
प्रोफेसर एमिरेट्स अलेक्जेंडर राम (कैनसस स्टेट यूनिवर्सिटी, यूएसए): “कई छोटे कणों द्वारा लहरें बिखेरना, एक वांछित अपवर्तन गुणांक और अन्य अनुप्रयोगों के साथ सामग्री बनाना”
प्रोफेसर फिलिप पोंग और दिमित्री (न्यू जर्सी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, यूएसए): “स्मार्ट ग्रिड के लिए स्थिति की निगरानी और विसंगति का पता लगाने में संपर्क रहित चुंबकीय संवेदन: नई संभावनाएं और विकल्प”

कांग्रेस ने शोधकर्ताओं और पेशेवरों को ज्ञान का आदान -प्रदान करने और इन महत्वपूर्ण क्षेत्रों में नवीनतम विकास का पता लगाने के लिए एक मंच प्रदान किया। ‘नैतिक एआई’ के लिए शर्मा की चिंता एवं प्रोत्साहन ने तेजी से तकनीकी उन्नति के सामने जिम्मेदार नवाचार के महत्व को उजागर करते हुए एक नवीन वैश्विक सोच को धरातल प्रदान किया।

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