सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कार्यस्थल पर वरिष्ठों की डांट-फटकार को जानबूझकर अपमान नहीं माना जा सकता बशर्ते यह अनुशासन और कर्तव्यों से संबंधित हो। कोर्ट ने आईपीसी की धारा 504 के तहत कार्यस्थल पर गाली-गलौज या अशिष्टता को जानबूझकर अपमान नहीं माना। यह निर्णय एक आपराधिक मामले में दिया गया जिसमें कार्यवाहक निदेशक पर एक सहायक प्रोफेसर को अपमानित करने का आरोप था।
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कार्यस्थल पर वरिष्ठ की ओर से डांट-फटकार को जानबूझकर किया गया अपमान नहीं माना जा सकता जिसमें आपराधिक कार्यवाही की जरूरत हो। साथ ही कहा कि ऐसे मामलों में व्यक्तियों के खिलाफ आपराधिक आरोप लगाने की अनुमति देने के नतीजे बुरे साबित हो सकते हैं इससे कार्यस्थल पर आवश्यक अनुशासनात्मक माहौल बिगड़ सकता है।